top of page

ढ़लान

नहीं हुआ हूँ ख़त्म अभी, ये तो बस एक ढ़लान है।

था अकेला चट्टान सा, अब जूझ रहा हूँ ,शाखों से मैं।

कुछ टूट जाऊँगा अभी, होगा, कुछ बोझ हल्का फिर तभी।

सही कहा है: "हम गिरते हैं सिर्फ़, उठने के लिए।" नहीं हुआ हूँ ख़त्म अभी, ये तो बस एक ढ़लान है। -व्योम।

Recent Posts

See All
माँ

माँ का दिल जब रोता है, धरती भी साथ में रोती है। माँ जब गुस्से में होती है, तो हल्का सा रो देती है। उस घर में खुशहाली है, जीस घर में माँ...

 
 
 
मशवरा।

उलझन का ये आलम है, के कोई सुलझा सकता नही मशवरे देता हूं, मशवरे पाता हूं, मशवरों का इलाज कोई जानता नही। कुछ खास लोगों से मशवरा किया, और...

 
 
 
फना

क्या खूब लिखा हमने, क्या खूब किया तुमने। पूरी दुनिया खफा करदी, पीछे सपने के एक, पूरी जिंदगी फना करदी। - व्योम

 
 
 

Comments


bottom of page