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ढ़लान

akashaman601

नहीं हुआ हूँ ख़त्म अभी, ये तो बस एक ढ़लान है।

था अकेला चट्टान सा, अब जूझ रहा हूँ ,शाखों से मैं।

कुछ टूट जाऊँगा अभी, होगा, कुछ बोझ हल्का फिर तभी।

सही कहा है: "हम गिरते हैं सिर्फ़, उठने के लिए।" नहीं हुआ हूँ ख़त्म अभी, ये तो बस एक ढ़लान है। -व्योम।

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