दरख़्तakashaman601Feb 23, 20231 min readइन दरख्तों के साए,हैं मैने कई मौसम बिताए।एक बूंद ओस से भींगा हूं,एक सांस में पतझड़ समा लिया।खुला आसमां साथी था,धूप घटाएं संग लिए।- व्योम।
इन दरख्तों के साए,हैं मैने कई मौसम बिताए।एक बूंद ओस से भींगा हूं,एक सांस में पतझड़ समा लिया।खुला आसमां साथी था,धूप घटाएं संग लिए।- व्योम।
माँमाँ का दिल जब रोता है, धरती भी साथ में रोती है। माँ जब गुस्से में होती है, तो हल्का सा रो देती है। उस घर में खुशहाली है, जीस घर में माँ...
मशवरा।उलझन का ये आलम है, के कोई सुलझा सकता नही मशवरे देता हूं, मशवरे पाता हूं, मशवरों का इलाज कोई जानता नही। कुछ खास लोगों से मशवरा किया, और...
ढ़लाननहीं हुआ हूँ ख़त्म अभी, ये तो बस एक ढ़लान है। था अकेला चट्टान सा, अब जूझ रहा हूँ ,शाखों से मैं। कुछ टूट जाऊँगा अभी, होगा, कुछ बोझ हल्का फिर...
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