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दरख़्त

akashaman601

इन दरख्तों के साए,

हैं मैने कई मौसम बिताए।

एक बूंद ओस से भींगा हूं,

एक सांस में पतझड़ समा लिया।

खुला आसमां साथी था,

धूप घटाएं संग लिए।

- व्योम।

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