दो चेहरे, एक सिक्का
- akashaman601
- Feb 23, 2023
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है जाना कहाँ मैं नहीं जानता।
पहुंचना किधर है, नहीं जानता।
है रास्ता कहाँ, मै जानता हूँ।
राहें किधर हैं नहीं जानता।
हैंं मुकाम कहाँ मैं जानता हूँ।
मंज़िल किधर है, नहीं जानता।
रास्तों पे चलता अकेला हूं मैं।
अजनबी चेहरों को नहीं जानता।
राहों में हैं मिलने वाले बोहोत।
राहों का पता मैं नहीं जानता।
इ1स शहर का ये क्या दस्तूर है।
यहाँ कोई किसी को नहीं जानता।
_व्योम
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