top of page

दो चेहरे, एक सिक्का

akashaman601

है जाना कहाँ मैं नहीं जानता।

पहुंचना किधर है, नहीं जानता।

है रास्ता कहाँ, मै जानता हूँ।

राहें किधर हैं नहीं जानता।


हैंं मुकाम कहाँ मैं जानता हूँ।

मंज़िल किधर है, नहीं जानता।


रास्तों पे चलता अकेला हूं मैं।

अजनबी चेहरों को नहीं जानता।


राहों में हैं मिलने वाले बोहोत।

राहों का पता मैं नहीं जानता।


इ1स शहर का ये क्या दस्तूर है।

यहाँ कोई किसी को नहीं जानता।

_व्योम


1 view0 comments

Recent Posts

See All

माँ

माँ का दिल जब रोता है, धरती भी साथ में रोती है। माँ जब गुस्से में होती है, तो हल्का सा रो देती है। उस घर में खुशहाली है, जीस घर में माँ...

मशवरा।

उलझन का ये आलम है, के कोई सुलझा सकता नही मशवरे देता हूं, मशवरे पाता हूं, मशवरों का इलाज कोई जानता नही। कुछ खास लोगों से मशवरा किया, और...

ढ़लान

नहीं हुआ हूँ ख़त्म अभी, ये तो बस एक ढ़लान है। था अकेला चट्टान सा, अब जूझ रहा हूँ ,शाखों से मैं। कुछ टूट जाऊँगा अभी, होगा, कुछ बोझ हल्का फिर...

Commentaires


bottom of page