युहींakashaman601Feb 23, 20231 min readकभी युहीं कुछ लिख लेता हूँ,तो कविता बन जाती है।कभी युहीं कुछ लिख लेता हूँ ,तो कहानी बन जाती है।सफ़ेद कागज़ पर निशान लगता हूँ,तो रेखाएं बन जाती हैं।इन तीनों को साथ लाता हूँ,तो कुछ कला निकल के आती है।
कभी युहीं कुछ लिख लेता हूँ,तो कविता बन जाती है।कभी युहीं कुछ लिख लेता हूँ ,तो कहानी बन जाती है।सफ़ेद कागज़ पर निशान लगता हूँ,तो रेखाएं बन जाती हैं।इन तीनों को साथ लाता हूँ,तो कुछ कला निकल के आती है।
माँमाँ का दिल जब रोता है, धरती भी साथ में रोती है। माँ जब गुस्से में होती है, तो हल्का सा रो देती है। उस घर में खुशहाली है, जीस घर में माँ...
मशवरा।उलझन का ये आलम है, के कोई सुलझा सकता नही मशवरे देता हूं, मशवरे पाता हूं, मशवरों का इलाज कोई जानता नही। कुछ खास लोगों से मशवरा किया, और...
ढ़लाननहीं हुआ हूँ ख़त्म अभी, ये तो बस एक ढ़लान है। था अकेला चट्टान सा, अब जूझ रहा हूँ ,शाखों से मैं। कुछ टूट जाऊँगा अभी, होगा, कुछ बोझ हल्का फिर...
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