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युहीं

कभी युहीं कुछ लिख लेता हूँ,

तो कविता बन जाती है।

कभी युहीं कुछ लिख लेता हूँ ,

तो कहानी बन जाती है।

सफ़ेद कागज़ पर निशान लगता हूँ,

तो रेखाएं बन जाती हैं।

इन तीनों को साथ लाता हूँ,

तो कुछ कला निकल के आती है।

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