सूफ़ी akashaman601Feb 23, 20231 min readकुछ काम का असर है,के दोरुखी हो गया हूं।कुछ काम का असर है,के सूफ़ी हो गया हूं।ये काम नहीं फितूर है मेरा,ज़रूर इसी के असर में,सूफ़ी हो गया हूं।
कुछ काम का असर है,के दोरुखी हो गया हूं।कुछ काम का असर है,के सूफ़ी हो गया हूं।ये काम नहीं फितूर है मेरा,ज़रूर इसी के असर में,सूफ़ी हो गया हूं।
माँमाँ का दिल जब रोता है, धरती भी साथ में रोती है। माँ जब गुस्से में होती है, तो हल्का सा रो देती है। उस घर में खुशहाली है, जीस घर में माँ...
मशवरा।उलझन का ये आलम है, के कोई सुलझा सकता नही मशवरे देता हूं, मशवरे पाता हूं, मशवरों का इलाज कोई जानता नही। कुछ खास लोगों से मशवरा किया, और...
ढ़लाननहीं हुआ हूँ ख़त्म अभी, ये तो बस एक ढ़लान है। था अकेला चट्टान सा, अब जूझ रहा हूँ ,शाखों से मैं। कुछ टूट जाऊँगा अभी, होगा, कुछ बोझ हल्का फिर...
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